Hurt And Grievous Hurt Under IPC Section 319-325,उपहति और घोर उपहति
उपहति और घोर उपहति को भारतीय दंड संहिता1860 में अध्याय 16 में मानव शरीर के विरुद्ध अपराध के तहत धारा 319 से 325 तक विस्तार से बताया गया है |
- उपहति की परिभाषा भारतीय दंड संहिता की धारा 319 में दी गई है जबकि
घोर उपहति की परिभाषा भारतीय दंड संहिता की धारा 320 में दी गई है |
- उपहति का अर्थ है एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को पीड़ा,
जैसे – किसी स्त्री के केश पकड़ कर उसे खींचना, रोग,अंग शैथिल्य कारित करना, अर्थात अपने सामान्य कार्यों को संपादित करने में किसी अंग की अयोग्यता, जैसे – मूर्छा आना |जबकि
उपहति की नीचे लिखी किस्मे घोर उपहति कहलाती हैं –
- पुंसत्वहरण
- दोनों में से किसी भी नेत्र की दृष्टि का स्थाई विच्छेद
- दोनों में से किसी भी कान की श्रवण शक्ति का स्थाई विच्छेद
- किसी भी अंग या जोड़ का विच्छेद
- किसी भी अंग या जोड़ की शक्तियों का नाश या स्थाई ह्रास
- सिर या चेहरे का विद्रूपीकरण
- अस्थि या दांत का भंग होना
- कोई उपहति जो जीवन को संकटापन्न करती है या
जिसके कारण उपहत व्यक्ति 20 दिनों तक तीव्र शारीरिक पीड़ा में रहता है या अपने मामूली कामकाज को करने में असमर्थ रहता है |
- प्रकृति – उपहति अर्थात साधारण चोट में चोट साधारण प्रकृति की होती है जबकि
घोर उपहति मैं चोट गंभीर प्रकृति की होती है |
जैसे – थप्पड़ मारने से कारित चोट साधारण प्रकृति की है जबकि दांत आदि टूट जाना गंभीर प्रकृति का है |
- क्या आवश्यक है – उपहति में अंग भंग, अंग विच्छेद, जोड़ विच्छेद या चेहरे का विद्रूपीकरण आदि आवश्यक नहीं है जबकि घोर उपहति में यह आवश्यक है |
- सामान्य कामकाज करने में असमर्थता – उपहति में व्यक्ति का कम से कम 20 दिनों तक सामान्य कामकाज करने में असमर्थ हो जाना आवश्यक नहीं है जबकि घोर उपहति में व्यक्ति का कम से कम 20 दिनों तक सामान्य कामकाज करने में असमर्थ हो जाना आवश्यक है |
- ऐसे कार्य जो न तो मृत्यु कारित करने के आशय से किए गए थे और ना तो जिनसे मृत्यु कारित होना संभाव्य है |
जैसे – 1. एक मां ने अपनी 8 वर्ष की बेटी को सबक सिखाने के लिए दो थप्पड़ उसके गाल पर मारा जिसके कारण उसकी बेटी मर गई, यहां जमाना गया कि मां का ना तो आशय था और ना ही मृत्यु संभाव्य थी, तो यह उपहति की श्रेणी में आने वाला अपराध है |
जैसे – 2. एक पति ने अपनी पत्नी के पेट में पैर से मारा, जिससे उसकी प्लीहा (spleen) नष्ट हो गई और वह मर गई | उसके पति को यह मालूम नहीं था कि उसका प्लीहा रोगी है और ना ही उसका आशय था कि पत्नी की मृत्यु कारित कर दे | पति को उपहति के लिए दोषसिद्धि प्रदान की जाएगी |
जैसे – 3. रमेश की पत्नी अपने पिता के घर को छोड़कर रमेश के साथ जाने को तैयार नहीं थी | रमेश उसे जबरदस्ती ले जाने लगा | इस पर रमेश के ससुर सुधीर ने अपने लड़के भरत से कहा कि “मारो” ,
भरत ने लाठी से रमेश पर प्रहार किया जिससे रमेश मर गया |
रमेश घोर उपहति के लिए दोषी होगा, क्योंकि भरत का कार्य ऐसा था जिससे रमेश के जीवन को खतरा हो सकता था परंतु मात्र डंडे के एक प्रहार से मृत्यु संभव नहीं हो सकती है |
साथ ही सुधीर भारतीय दंड संहिता की धारा 114 के अंतर्गत दुष्प्रेरित अपराध अर्थात घोर उपहति हेतु दोषी होगा क्योंकि सुधीर ने भरत को उकसाया और घटना के समय वह उपस्थित भी था |
लेकिन यदि भरत ने बर्बरता पूर्वक कई डंडे मारे होते तो वह हत्या की कोटि में ना आने वाले आपराधिक मानव वध ( धारा 299 के अंतर्गत) का दोषी होता, क्योंकि उससे रमेश की मृत्यु संभावित हो जाती |
Case Law -
मोर्नबिलू, 1945 के वाद में अभियुक्त ने चुराने के आशय से एक स्त्री की नथनी (nose ring) पर झपट्टा मारा, जिससे उसकी नाक कट गई, फलस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई, अभियुक्त को धारा 320 के तहत दोषसिद्धि प्रदान की गई, क्योंकि ना तो उसका आशय था और ना ही उसके कार्य से मृत्यु संभाव्य था |
रूपिंदर सिंह संधू बनाम स्टेट ऑफ पंजाब, AIR 2018 के मामले में अभियुक्त को धारा 323 के अंतर्गत दोष सिद्ध किया गया, अभियुक्त एक विख्यात क्रिकेट खिलाड़ी था चोट कारित करने में किसी और का उपयोग नहीं किया गया था | अभियुक्त और आहत व्यक्ति के मध्य कोई रंजिश भी नहीं थी अभियुक्त को ₹1000 के जुर्माने से दंडित किया गया |
धारा 321 -
जब कोई व्यक्ति कोई कार्य इस ज्ञान के साथ करता है कि यह संभाव्य है कि वह तद्द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति कारित करें, तो वह स्वेच्छया उपहति करता है, यह कहा जाता है |
धारा 322 -
जब कोई व्यक्ति कोई कार्य इस ज्ञान के साथ करता है कि यह संभाव्य है कि वह तद्द्वारा किसी व्यक्ति को घोर उपहति कारित करें, तो वह स्वेच्छया घोर उपहति करता है, यह कहा जाता है |
दंड का प्रावधान -
उपहति के लिए दंड का प्रावधान भारतीय दंड संहिता की धारा 323 में किया गया है जबकि
घोर उपहति के लिए दंड का प्रावधान भारतीय दंड संहिता की धारा 325 में किया गया है |
धारा 334 के उपबंध के अलावा जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करेगा वह –
- दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 1 वर्ष तक की हो सकेगी या
- जुर्माने से, जो ₹1000 तक का हो सकेगा या
- दोनों से दंडित किया जाएगा |
धारा 335 के उपबंध के अलावा जो कोई स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा वह –
- दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष तक की हो सकेगी और
- जुर्माने से दंडित किया जाएगा |