मानव शरीर के विरुद्ध अपराध  (Offences against human body) (Chapter 16, Section 299 – 377)……आपराधिक मानव वध (section 299) और हत्या (section 300) के मध्य अंतर

मानव शरीर के विरुद्ध अपराध (Offences against human body)

  आपराधिक मानव वध (section 299) और हत्या (section 300) के मध्य अंतर

Offences against human body

1. आपराधिक मनः स्थिति  –   

आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide) में एक निश्चित (definite) आपराधिक मनः स्थिति mens rea  होती है| जबकि

हत्या (Murder) में भी  एक निश्चित आपराधिक मनः  स्थिति (definite mens rea) होती है |

2.  दुर्भावनापूर्ण इरादा और मृत्यु  – 

आपराधिक मानव वध में मारने का एक दुर्भावनापूर्ण इरादा होता है और पीड़ित की मृत्यु हो जाती है |जबकि

हत्या में भी मारने का एक दुर्भावनापूर्ण इरादा होता है और पीड़ित की मृत्यु हो जाती है|

3. परिभाषा   –

आपराधिक मानव वध की परिभाषा Chapter 16 धारा 299 में दिया गया है| जबकि

हत्या की परिभाषा  chapter 16 में धारा 300 में दिया गया है |

4. . निश्चितता  –

आपराधिक मानव वध करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बारे में निश्चित नहीं हो सकता है,  लेकिन वह इसकी आशा कर सकता है| जबकि

हत्या करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बारे में निश्चित होता है |


A, B को गंभीर चोट पहुंचाने के इरादे से उसके पास जाता है और  B  के पेट में  घुसा  मारता है, परिणामस्वरूप B  मर जाता है| A निश्चित नहीं था कि B  मर जाएगा तो A  आपराधिक मानव वध  Culpable Homicide  के लिए जिम्मेदार है |

लेकिन यदि A, B  के घर जाता और B  को जहर या सायनाइड दे देता तो A, B  की मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक और गहन ( Extreme ) उपाय करता,  तो A  हत्या के अपराध के लिए जिम्मेदार होता |

5.  आशय की मात्रा  –

आशय की मात्रा  कितनी थी अर्थात क्या आरोपी को पता था कि मृत्यु हो जाएगी या मृत्यु  अनिश्चित थी |

 यदि  अनिश्चित थी, तो आपराधिक मानव वध होगा | जबकि

यदि मृत्यु सुनिश्चित थी, तो हत्या होगा |

6. पूर्व नियोजित कार्यवाही  –

आपराधिक  मानव वध में अपेक्षाकृत कम पूर्व नियोजित कार्यवाही होती है |

जबकि हत्या में आपराधिक मानव वध की तुलना में अधिक पूर्व नियोजित कार्यवाही शामिल  होती है |   

7.  उद्देश्य और ज्ञान की डिग्री  –

यदि उद्देश्य और ज्ञान का स्तर कम हो तो मामले को आपराधिक मानव  वध के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा | जबकि

यदि उच्च स्तर का उद्देश्य और ज्ञान है तो मामले को हत्या के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा |

8.  स्वरूप  –

कुछ अपवादों को छोड़कर आपराधिक मानव वध हत्या है अर्थात कुछ मामलों में आपराधिक मानव वध हत्या है और कुछ मामलों में आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है |  जैसे –

  • गंभीर प्रकोप होने पर,
  • प्राइवेट प्रतिरक्षा में,
  • किसी लोकसेवक में या लोकसेवक की मदद करने के लिए सदभावना पूर्वक विश्वास करते हुए कार्य करें बिना किसी वैमनस्य के,
  • यदि अचानक झगड़ा शुरू हो जाए और

                     बिना पूर्व  चिंतन के और 

                     बिना अनुचित लाभ उठाएं और

                     बिना क्रूरता पूर्व रीती से कार्य किया गया   हो,

  • यदि कोई व्यक्ति अपनी सम्मति से मृत्यु होना सहन करें या मृत्यु का जोखिम उठाए |

लेकिन हर हत्या आपराधिक  मानव वध है |

9.  प्रथम दृष्टया अपराध किस धारा में आता है  –

प्रथम दृष्टया कोई अपराध आपराधिक मानव वध नहीं माना जाएगा | जबकि

जब कभी भी अपराधी का आशय मृत्यु कारित  करना होता है तो वह सदैव हत्या का मामला होगा जब तक कि अपराध धारा 300 में वर्णित किसी एक  अपवाद के अंतर्गत ना आता हो | 

10.  धारा 299(2) और धारा 300(2) के   बीच अंतर  –

धारा 299(2)  और धारा 300(2) के बीच अंतर अपराधी के ज्ञान पर  आधारित है

यदि सिर्फ ज्ञान था तो आपराधिक मानव वध होगा | जबकि

यदि सुनिश्चित ज्ञान था तो  हत्या होगा |

11.  धारा 299 (2) और धारा 300 (3) के बीच अंतर  –

आपराधिक मानव वध में शारीरिक क्षति से मृत्यु होना सम्भाव्य  है | जबकि

धारा 300(3)  में शारीरिक क्षति प्रकृति के सामान्य अनुक्रम में मृत्यु  कारित करने हेतु होनी चाहिए |

12.  मानव जीवन के लिए उत्पन्न संकट  पर निर्भरता  –

कोई अपराध आपराधिक मानव वध है या हत्या,  यह मानव जीवन के लिए उत्पन्न संकट पर निर्भर करता है | यदि मृत्यु होने की संभावना है, वह अपराध आपराधिक मानव वध होगा | जबकि

यदि मृत्यु होने की अत्यधिक संभावना है वह हत्या होगी |

13.  दंड का प्रावधान  –

आपराधिक मानव वध में धारा 304 में दंड का प्रावधान है |

जो कोई  ऐसा आपराधिक मानव वध करेगा, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है तो वह

  • आजीवन कारावास से, या
  • दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 10 वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और
  • जुर्माने से भी दंडनीय होगा |

जबकि हत्या में धारा 302 में दंड का प्रावधान है |

जो कोई हत्या करेगा, वह

  • मृत्यु, या
  • आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा और
  • जुर्माने से भी दंडनीय होगा |

14.  उदाहरण  द्वारा स्पष्टीकरण  –

यदि शैलेंद्र ट्रेन पकड़ने हेतु रेलवे स्टेशन जाते समय अत्यधिक तीव्र गति से वाहन चलाकर  वीरेंद्र की मृत्यु कारित कर देता है और प्रस्तुत  साक्ष्य से यह स्पष्ट होता है कि

  • वह अपने लक्ष्य तक किसी अन्य ट्रेन द्वारा समय के अंदर नहीं पहुंच सकता था,
  • वह तीव्र गति से वाहन उस समय चला रहा था, जब ट्रेन छूटने में केवल 2 मिनट शेष रह गया था,
  • उस समय सड़क पर भीड़भाड़ थी |

 तो ऐसा समझा जाएगा कि उसे यह  ज्ञात  था कि किसी व्यक्ति का उसके वाहन के नीचे आ जाना संभाव्य है और इस प्रकार मृत्यु कारित हो सकती है तो शैलेंद्र यहां पर आपराधिक मानव वध का दोषी होगा | जबकि

किंतु यदि यह  पाया जाए कि मृत्यु कारित करने का  जोखिम इतना स्पष्ट था  कि उसे निश्चिततः  जानना चाहिए था और वह वस्तुतः जानता भी था कि उसके कार्य से मृत्यु कारित  होना अधिसंभाव्य है तो शैलेंद्र हत्या के अपराध के लिए दोषी होगा |

 

बुद्धि सिंह बनाम  हिमाचल प्रदेश राज्य AIR  2013 
                                                                            
के वाद में गंगाराम और बुद्धि सिंह दोनों बालाराम के पुत्र थे | एक ही मकान में अलग-अलग कमरे में रहते थे |  दोनों के बीच शत्रुता नहीं थी |
 लेकिन एक दिन गंगाराम नशे में घर आया और अपने पिता को गाली देने लगा और मरने लगा | मदद के लिए पिता के आवाज लगाने पर बुद्धि सिंह एक छोटी कुल्हाड़ी (axe) के साथ आया और गंगाराम के सिर पर चोट कारित की |

 यह अभिनिर्धारित किया गया कि  ……….

   1. हमारे समाज में पुत्र यह सहन नहीं करेगा कि कोई पिता को गाली दे या  मारे  या अपमानित करें,

   2. अपराध गंभीर और अचानक प्रकोपन  के कारण कारित  किया गया,

   3. औजार ( weapon) यद्यपि यह जानते हुए प्रयोग किया गया कि इससे जीवन को खतरे में डालने वाली गंभीर चोट कारित हो सकती है,
      परंतु पहाड़ी इलाकों में घरों में  कुल्हाड़ी आसानी से उपलब्ध होने वाला  औजार ( weapon) है |

  अतः यह आपराधिक मानव वध Culpable Homicide होगा |

 

Offences against human body